4/02/2011

गीता से


सर्वधर्मान परित्यज्य मामेकं शरणम व्रज
अहम् तवा सर्वपापेभ्यो मोक्षिश्यामी  मा शुचः -  गीता
सम्पूर्ण धर्मो को अर्थात सम्पूर्ण दर्ताव्य कर्मो को मुझमे त्यागकर तू केवल एक मुझ सर्वशक्तिमान, सर्वधर परमेश्वर की ही शरण में आ जा. मई तुझे सम्पूर्ण पाप्सो से मुक्त कर दूगा तू शोक मत कर.

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