9/07/2011

प्रतिभा की पहचान

यूनान देश के थ्रेस प्रान्त में एक निर्धन बालक दिनभर परिश्रम करके जंगल में लकडिया काटता. फिर उनका गट्ठर बनाकर शाम को बाजार में बेचता था. एक दिन एक संभ्रांत व्यक्ति उस बाजार से जा रहा था. उसने देखा की  उस बालक का गट्ठर बहुत ही कलात्मक रूप से बांधा हहा है.

उसने उस लड़के से पूछा - क्या यह  गट्ठर तुमने बांधा है? लड़के ने जवाब दिया, जी हां, मै दिनभर लकड़ी काटता हूँ, स्वयं गट्ठर बाधता हूँ  और फिर रोज बाजार में बेचता हूँ. 

उस व्यक्ति ने लड़के से कहा-क्या तुम इसे खोलकर ईसी प्रकार दुबारा बांध सकते हो ? जी हां, यह देखिये ईतना कहकर उस लड़के ने गट्ठर खोला तथा बड़े ही सुन्दर तरीके से पुनः गट्ठर बाध दिया. यह कार्य वह बड़े ध्यान लगन और फुर्ती के साथ कर रहा था.

उस व्यक्ति पर इस लड़के की एकाग्रता, लगन तथा कलात्मक  प्रतिभा का बहुत प्रभाव पड़ा. उसने देखा की बालक में छोटे से काम को भी दिलचस्पी, लगन और कलात्मक ढंग से करने का गुड विद्यमान है. ऐसा विचारकर उसने बालक से कहा - क्या तुम मेरे साथ चलोगे ? मै तुम्हे शिक्षा दिलाऊगा और तुम्हारा सारा व्यय वहन करूगा. बालक सोच विचार में मगन हो गया फिर उसने उस व्यक्ति को अपनी स्वीकृति दे दी और उसके साथ चला गया. उस व्यक्ति ने बालक के रहने और उसकी शिक्षा का प्रबंध किया. वह स्वयं भी उसे पठाता था.

थोड़े समय में ही उस बालक ने अपनी लगन तथा कुशाग्र बुद्धी  से उच्च शिक्षा आत्मसात कर ली. बड़ा होने पर यही बालक यूनान के महान दार्शनिक पाईथागोरस के नाम  से प्रशिद्ध हुआ.

वह भला आदमी जो बालक की आदतों, बुद्धि तथा लगन पर मोहित हो गया था, जिसने एक द्रष्टि में बालक के अन्दर छिपे हुए महानता के बीज पहचानकर उसे पल्लवित किया था, वह था यूनान का विख्यात तत्वज्ञानी डेमोक्रीट्स.

 जो व्यक्ति अपने छोटे-छोटे कार्य भी लगन एवं ईमानदारी से करते है, उन्ही में महानता के बीज छिपे रहते है.