12/31/2010

विवाह सिर्फ भोग के लिए नहीं होता



शिव पार्वती विवाह का एक कारण तारकासुर का बध भी था क्योकि उसने वरदान में शिव पुत्र के द्वारा म्रत्यु मांगी थी. इस प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है की हम सदैव  समाज में भलाई करे. व अपने सामर्थ्य के अनुसार सेवा करे. अगर समाज के हित में कोई भी नियम तोडना पड़े तो कोई दोष नहीं होता.


 विवाह के बाद भगवान् आशुतोष व माँ पार्वती ने कैलाश  पर निवास किया. यह बात आज की गृहणियो को यह सन्देश देती है की  अपने पति के सुख में ही उसका वास्तविक सुख निहित है. विवाह सिर्फ भोग के लिए नहीं होता उक्त उदगार आचार्य व्रजपाल शुक्ल ने शिवपुराण कथा के चौथे दिन के प्रवचन में कही. 


ढाना, सागर में चल रही श्री शिव पुराण कथा का आनंद लेने क्षेत्र की अपार भीड़ उमड़ रही है. अपने चौथे दिन के प्रवचन में वृन्दाबन धाम से पधारे अष्टादश पुराण प्रवक्ता आचार्य व्रजपाल शुक्ल ने आज कार्तिकेय के जन्म का वृतांत सुनते हुए कहा की उनका जन्म देवताओं की पीड़ा हरने के लिए हुआ था.





 वरिष्ठ पत्रकार श्री दीपक तिवारी के निवास पर विगत वर्ष की तरह इस वर्ष भी आचार्य व्रजपाल शुक्ल  के द्वारा धर्म की धारा ढाना ग्राम में शिवपुराण के माध्यम से बह रही है.
 अपने सारगर्भित प्रवचनों में आचार्य जी ने समाज में आज माता-पिता एवं गुरु के प्रति उपेक्षा के भाव पर प्रकाश डालते हुए कहा की गुरु और पिता में एक समानता जरूर होती है और वह है की गुरु अपने शिष्य के वैभव व प्रसिद्धि को देखते हुए प्रसन्न होते है वैसे ही एक पिता अपने पुत्र के ऊचा बढ़ने एवं सम्रद्धि को देखते हुए प्रसन्न होता है.


धन के विषय में आचार्यजी ने कहा की धन से सच्चा यश नहीं मिलता अगर उससे सद्बुद्धि और विवेक शामिल न हो. भगवान् गजानंद का वृतांत सुनते हुए आचार्यजी ने कहा की किस तरह उनका जन्म हुआ और कैसे वे गणेश बने व उनके तेजमय गुणों के कारण ही उन्हें प्रथम पूज्यदेव का वरदान भगवान् भोलेनाथ से मिला.