10/16/2011

उनके अवयवो में सारे लोक कल्पित है



एक समय नारदजी विविध लोको में भ्रमण करते-करते ब्रह्मा जी के पास गए. वहा  उन्होंने ब्रह्माजी को नेत्र बंद  कर तपस्या  में मग्न  देखा. नारदजी ने विचार किया की मेरे  पिताजी जगत की स्रष्टि, पालन और संहार के करता है. इनसे बड़ा कौन देवता है जिसका ये ध्यान कर रहे है ?


ब्रह्माजी की समाधी टूटने पर नारदजी ने उन्हें प्रणाम किया और हाथ जोड़कर कहा - पिताजी ! आज आपको ध्यानमग्न देखकर मुझे बड़ा संदेह हो रहा है. मै अभी तक आपको ही सर्वश्रेष्ठ जगत देवता समझता था, किन्तु आज मुझे ज्ञात हो रहा है की आपसे बड़ा कोई देवता और है, जिसका आप ध्यान करते है. कृपया यह भी बतलाइये की आत्मज्ञान का साधन  क्या है ? यह विश्व  किस से  प्रकाशित होता है ? किसके अधीन है और किस्मे लीन  होता है ? आपका विज्ञानदाता और आश्रय  कौन है ? आप किसके अधीन है एवं आपका स्वरूप क्या है ? 
ब्रह्माजी ने कहा - वत्स ! तुम्हारा संदेह ठीक है. मुझसे परे जो तत्व है, उसे तुम नहीं जानते, इसी से तुम्हे संदेह हो रहा है. उन भगवान् को नमस्कार है, जिनकी माया से मोहित लोग मुझे ही जगतगुरु कहते है - 
तस्मै नमो भगवते बासुदेवाय धीमहि
य्न्माय्या दुर्जयाया मम ब्रुवन्ति जगद्गुरुम 
पर वस्तुतः जगद्गुरु श्री नारायण  ही है. उन्ही से जगत की स्रष्टी होती है. मै तो निमित्त मात्र हूँ. उनके द्वारा प्रकाशित  स्रष्टि को ही मै प्रकाशित करता हूँ. जब भगवान् एक से बहुत होने की इच्छा करते है, तब प्रकृति और पुरुष प्रथक हो जाते है. उस समय पुरुष में काल, कर्म और स्वभाव ये तीनो उद्भूत होते है. काल से प्रकृति के गुणों का क्षोभ होता है, स्वभाव से उसमे परिणाम होता है और कर्म से महत्त्तत्व का जन्म होता है. महत्त्तव से अहंकार होता है. यह अहंकार सात्त्विक, राजस और तामस भेद से तीन प्रकार है.
तामस अहंकार पंचतन्मात्रा और पञ्च महाभूतो की उत्पत्ति होती है. राजस अहंकार से इन्द्रियों के अधिष्ठाता देवता और मन की उत्पत्ति होती है.इन सब तत्वों ने मिलकर भगवान् की शक्ति से एक अंड की रचना की. वह अंड बहुत वर्षो तक जल में पडा रहा. ब्रह्मा ने उसमे प्रविष्ट होकर उसको चेतन किया.इसी से वह ब्रह्माण्ड कहा जाता है. फिर उसका भेदन कर वह स्वयं विराट रूप से प्रकट हुए. उनके अवयवो में सब लोक कल्पित है - चरणों में भूलोक, नाभि में भुवर्लोक और मस्तक में स्वर्ग लोक. उन्ही में सात भुवन एवं चौदह लोको के कल्पना की गई है.