3/11/2011

गुरु बनाने की क्या आवश्यकता है

वृन्दाबन में श्री  उडिया बाबाजी महाराज को एक विद्वान् ने पूछा-महाराज! 
यह गुरु बनाने की क्या आवश्यकता है?
महराजजी ने उनसे उल्टा प्रश्न किया-तुम मुझसे क्यों पूछ रहे हो?
 उन्होंने कहा-जानकारी प्राप्त कनरे  के लिए 
महाराज जी- अबतक जो जानकारी तुम्हे प्राप्त है, उसमे कुछ संशय होगा तभी तो हमसे अपनी जानकारी की पुष्टि करवाना चाहते हो.
विद्वान्-महाराज! आप कह देगे तो निर्णय हो जायेग. 
महाराज जी बोले-तो यही तो गुरु की आवश्यकता है.
असल में जीवन में मनुष्य अपने आप कुछ इधर की कुछ उधर की छिटपुट हजारो बाते सुनता रहता है  हजारो अधिकारी के लिए हजारो शास्त्र वचनं अहि और साधना के एक-एक मार्ग को दिखने वाले हजरू ऋषि है. उनमे हमारे लिए कौन सा ठीक है , यह हम अपनी बुद्धि से निर्णय करना चाहे तो कुछ न कुछ दुविधा बनी रहेगी. इसलिए इसमें सद्गुरु की आवश्यकता है की वो हमारी बुद्धि की दुविधा मिटाकर हमको एक साधन भजन की पद्धति में 
निष्ठावान बना दे.
स्वामी अखंडानंद सरस्वती जी महाराज के आनंद रस रत्नाकर से साभार