जप की संख्या :
अपने इष्टमंत्र या गुरुमंत्र में जितने अक्षर हों उतने लाख मंत्रजप करने से उस मंत्र का अनुष्ठान पूरा होता है | मंत्रजप हो जाने के बाद उसका दशांश संख्या में हवन, हवन का दशांश तर्पण, तर्पण का दशांश मार्जन और मार्जन का दशांश ब्रह्मभोज कराना होता है | यदि हवन, तर्पणादि करने का सामर्थ्य या अनुकूलता न हो तो हवन, तर्पणादि के बदले उतनी संख्या में अधिक जप करने से भी काम चलता है | उदाहणार्थ: यदि एक अक्षर का मंत्र हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 1,11,110 मंत्रजप करने सेसब विधियाँ पूरी मानी जाती हैं |
अनुष्ठान के प्रारम्भ में ही जप की संख्या का निर्धारण कर लेना चाहिए। फिर प्रतिदिन नियत स्थान पर बैठकर निश्चित समय में, निश्चित संख्या में जप करना चाहिए।
अपने मंत्र के अक्षरों की संख्या के आधार पर निम्नांकित तालिका के अनुसार अपने जप की संख्या निर्धारित करके रोज निश्चित संख्या में ही माला करो। कभी कम, कभी ज़्यादा......... ऐसा नहीं।
सुविधा के लिए यहाँ एक अक्षर के मंत्र से लेकर सात अक्षर के मंत्र की नियत दिनों में कितनी मालाएँ की जानी चाहिए, उसकी तालिका यहाँ दी जा रही हैः
अनुष्ठान के प्रारम्भ में ही जप की संख्या का निर्धारण कर लेना चाहिए। फिर प्रतिदिन नियत स्थान पर बैठकर निश्चित समय में, निश्चित संख्या में जप करना चाहिए।
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अनुष्ठान हेतु प्रतिदिन की माला की संख्या
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कितने दिन में अनुष्ठान पूरा करना है?
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मंत्र के अक्षर
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7 दिन में
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9 दिन में
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11 दिन में
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15 दिन में
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21 दिन में
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40 दिन में
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एक अक्षर का मंत्र
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150 माला
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115 माला
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95 माला
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70 माला
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50 माला
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30 माला
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दो अक्षर का मंत्र
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300 माला
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230 माला
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190 माला
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140 माला
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100 माला
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60 माला
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तीन अक्षर का मंत्र
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450 माला
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384 माला
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285 माला
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210 माला
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150 माला
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90 माला
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चार अक्षर का मंत्र
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600 माला
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460 माला
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380 माला
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280 माला
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200 माला
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120 माला
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पाँच अक्षर का मंत्र
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750 माला
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575 माला
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475 माला
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350 माला
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250 माला
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150 माला
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छः अक्षर का मंत्र
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900 माला
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690 माला
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570 माला
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420 माला
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300 माला
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180 माला
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सात अक्षर का मंत्र
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1050 माला
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805 माला
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665 माला
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490 माला
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350 माला
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210 माला
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जप करने की संख्या चावल, मूँग आदि के दानों से अथवा कंकड़-पत्थरों से नहीं बल्कि माला से गिननी चाहिए। चावल आदि से संख्या गिनने पर जप का फल इन्द्र ले लेते हैं।
मंत्र संख्या का निर्धारणः कई लोग ‘ॐ’ को ‘ओम’ के रूप में दो अक्षर मान लेते हैं और नमः को नमह के रूप में तीन अक्षर मान लेते हैं। वास्तव में ऐसा नहीं है। ‘ॐ’ एक अक्षर का है और ‘नमः’ दो अक्षर का है। इसी प्रकार कई लोग ‘ॐ हरि’ या ‘ॐ राम’ को केवल दो अक्षर मानते हैं जबकि ‘ॐ... ह... रि...’ इस प्रकार तीन अक्षर होते हैं। ऐसा ही ‘ॐ राम’ संदर्भ में भी समझना चाहिए। इस प्रकार संख्या-निर्धारण में सावधानी रखनी चाहिए।
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