7/03/2010

gau hatya ko roka nahee ja sakta

गाय आज धर्मनीति और राजनीती के बीच पिस रही है. जब तक गाय धर्मनीति और राजनीती के जाल से मुक्त नहीं होगी तब तक गौ हत्या को रोका नहीं जा सकता. मेरा मानना  है की अगर हम गाय को धर्मं नीति और राजनीती के जंजाल से बाहर निकल दे और उसे पूरी तरह से अर्थनीति से जोड़  दे तो स्वतः ही देश में गौ रक्षा आन्दोलन सफल हो जायेगा.

बिल्ली और शेखचिल्ली की तरह अब दिल्ली भी भरोसे के काबिल नहीं रही. हज करके लोटी बिल्ली पर अगर चूहे यह भरोसा कर ले की अब वह सुद्धर गई है, उसने चूहे खाने छोड़ दिए हैं तो यह उनकी बड़ी भूल होगी. जो सिर्फ सपनो में जीना जानता  है, ऐसा शेखचिल्ली भी भरोसे के काबिल कैसे हो सकता है? और दिल्ली? जहाँ सिर्फ बातों के आचार्य दूर-दूर तक दिखाई न देते हो ऐसे दिल्ली से भी आखिर क्या उम्मीद की जा सकते है?




तरुण सागर महाराज के कडवे वचन से साभार

1 टिप्पणी:

  1. गो माता कोई पैसे कि दूकान नहीं है जोकि उसे अर्थतंत्र से जोड़ा जाए हाँ में इस वात से सहमत हू परन्तु हम सब यह चाहते है कि पहले गाय को माँ के रूप में देखा जाय ना कि किसी पैसे बनाने वाला जानवर |

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