इन बारह नामों का जो नित्य प्रातः काल उठकर स्नान के समय या सोते समय पाठ करता है, उस पर किसी भी प्रकार के विष का प्रभाव नहीं पड़ता, उसे कोई हिंसक प्राणी मार नहीं सकता, युध्ध में तथा व्यहार में उसे विजय प्राप्त होती है, वह बंधन से मुक्ति प्राप्त कर लेता है और उसे यात्रा में सिध्धि मिलती है.
महात्मा गरुड़ के बारह नाम इस प्रकार हैं -
१ सुपर्ण यानी सुन्दर पंखों वाला,
२ वैनतेय यानी विनता के के पुत्र,
३ नागारी यानी नागों के शत्रु,
४ नागभीषण यानी नागों के लिए भयंकर,
५ जितान्तक यानी काल को भी जीत लेने वाले,
६ विषारी यानी विष के शत्रु,
७ अजित यानी अपराजेय,
८ विश्वरूपी यानी सर्वस्वरूप,
९ गरुत्मान यानी अतिशय पराक्रम सम्पन्न,
१० खगश्रेष्ठ यानी पक्षियों में सर्वश्रेष्ठ,
११ तार्क्ष्य यानी गरुड़ तथा
१२ कश्यप्नंदन यानी महर्षि कश्यप के पुत्र -
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