7/04/2010

आज बच्चा माँ से कम, मीडिया से ज्यादा प्रभावित हो रहा है.

 जवानी पर ज्यादा मत इतराना क्योंकि जवानी सिर्फ चार दिनों की है. अतः कानो में बहरापन आवे, इससे पहले ही जो सुनने जैसा है, उसे सुन लेना. पैरों में लग्दानापन आवे, इससे पहले ही दोद कर तीर्थ यात्रा कर लें. आँखों में अंधापन आवे, इससे पहले ही अपने स्वरुप को निहार लें. वाणी में गूंगापन आवे, इससे पहले ही कुछ मीठे बोल बोल लेना. हाथों में लूलापन आवे, इससे पहले ही दान पुण्य कर डालना. दिमाग में पागलपन आवे, इससे पहले ह ई प्रभु के हो जाना.
पैसा कमाने के लिए कलेजा चैये. मगर दान करने के लिए उल्लसे भी बड़ा कलेजा चाहिए. दुनिया कहती है  फड पैसे तो हाथ का मेल है. मैं पैसे को ऐसी गाली कभी नहीं दूंगा. जीवन और जगत में पैसे का अपना मूल्य है, जिसे झुठलाया नहीं जा सकता. मगर यह भी सही है के जीवन में पैसे कुछ हो सकता है, कुछ-कुछ भी हो सकता है, और बहुत कुछ भी हो सकता है मगर सब कुछ नहीं हो सकता. और जो लोग पैसे को ही सब कुछ मान लेते हैं वे पैसे के खातिर अपनी आत्मा को बेचने के लिए भी तैयार हो जाते हैं.
कहा जाता है की बच्चे पर माँ का प्रभाव पड़ता है. लेकिन आज बच्चा माँ से कम, मीडिया से ज्यादा प्रभावित हो रहा है. कल तक कहा जाता था की यह बच्चा अपनी माँ पर गया है और यह बाप पर. मगर आज जिस तरह से देशी-विदेशी चैनल हिंसा और अश्लीलता परोस रहे हैं. उसे देखकर लगता है के कल यह कहा जाएगा की यह बच्चा जी टीवी पर गया है और यह स्टार टीवी पर और यह जो निखट्टू है न यह तो पूरी फैशन टीवी पर गई है. आज विभिन्न चैनलों द्वारा देश पर जो संस्कृतिक हमले हो रहे हैं वे ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकवादियों के हमले से भी ज्यादा खतरनाक हैं.
तरुण सागर जी के कडवे बचन हितकारी से साभार