भगवान् ने देखा की संसार के लोग दुखी है.
क्यों दुखी है?
कहा हमसे बिछुड़े हुए है.
जो अपने को आनंद स्वरूप अनुभव करे और दुनिया में किसी को दुखी देखे तो उसका क्या ख्याल बनेगा ? यही न की मै आनंद स्वरूप, इन्होने मेरी और पीठ कर ली है इसलिए दुखी है. यही तो सोचेगे और क्या सोचेगे?
संसार में ज्यादा लोग दुखी है-अपना धन, अपना कर्म, अपना भोग, अपना शरीर, अपनी परिच्छिन्नता- इसी पर नजर बढ़ गयी है- इसके कारण संसार के लोग दुखी है. जरा सामने वाले पर जाने दो नजर-जो मंद-मंद मुस्करा रहा है, टेढ़ी टांगवाला ! टेढ़ी टांग वाले को आप जानते है......?
बाकेबिहारी........त्रिभंग ललित, टेढ़ी कमर वाला, टेढ़ा चिबुक, टेढ़ा पाँव, तीन जगह से टेढ़े, फिर भी ललित! यह बाके बिहारी है. मंद-मंद मुस्कान, आखो में प्रेम, भौहो में अनुग्रहवाले क्या तीर है! क्या बाड़ है!
वे सम्पूर्ण सौन्दर्य का आधार है. वक्षस्थल जिसपर लक्ष्मी निवास करती है, श्रीवत्स है. जिनका रोम-रोम पुकारता है, आओ, आओ! सुख चाहते हो तो हमारी ओर आओ! उसका चिबुक हिलता है तो कहता है हमारे पास आ जाओ, हाथ हिलाता है तो कहता है हमारे पास आ जाओ! आख हिलती है तो कहती है, हमारे पास आओ! भौह हिलती है तो कहती है हमारे पास आओ! आमंत्रण करने वाल देवता है, यह निमंत्रण करने वाला देवता है!
ये संसार के बिछुड़े हुए लोग, ये बिरही लोग, ये दुखी लोग संसार के विषयों से प्रेम करके दुखी हो गए. उनके दुःख निवारण के लिए ये परम कृपालु , ये करुणा वरुणालय. ये करुण नयन ह्रदय में निमंत्रण दे रहे है की आओ-आओ-आओ तुम्हे गंध चाहिए तो गंध लो, रस चाहिए तो रस लो , रूप चाहिए तो रूप लो, स्पर्श चाहिए तो स्पर्श लो, शब्द चाहिए तो शब्द लो, दिल चाहिए तो दिल लो, दिमाग चाहिए तो दिमाग लो और कुछ न चाहिए तो हमको ही ले लो.
योगमायामुपश्रितः -अर्थात जीवो को ईश्वर की प्राप्ति हो जाय, उनको अविनाधी सत मिले, उनको स्वयं प्रकाश चित मिले, उनको अनायास नित्यानंद मिले, इसके लिए योगमाया का आश्रय लिया.