ಎएक समय नैमिशारान्य में शौन्कादी ऋषि भगवान की प्राप्ति के लिए सहस्त्र वर्षों में पूर्ण होने वाले yagy का अनुष्ठान कर रहे थे. वे प्रातःकाल अग्नि में हवन कर भगवान के ध्यान में निमग्न थे की व्यासजी के शिष्य परमज्ञानी सूतजी वहा आ पहुचे. ऋषियों ने पूछा - हे भगवान आपने समस्त इतिहास पुरानो का अध्ययन और उनका प्रवचन भी किया है. व्यासजी जो रहस्य जानते है, उन सबका आपको भी पूर्ण रूप ज्ञान है. श्रद्धालु और प्रेमी शिष्यों को गुरुजन गोप्य बाते भी बतला देते है. इसलिए अब आप कृपा कर यह बताये की
मनुष्यों के लिए मुख्य श्रेय का साधन क्या है ?
शास्त्रों में जो कुछ बर्णन किया गया है, उसका सार अपनी बुद्धि से निकलकर आप हमें उपदेश कर्र,
यह भी बतलाये की भगवान देवकी के पुत्र रूप में किस कार्य के लिए अवतीर्ण हुए थे ?
भगवान के जो-जो अद्भुत चरित्र है जिनका कवियों ने बहुधा वर्णन किया है उन्हें भी आप हमें बताये,
भगवान की अवतार सम्बन्धी जो कथाये है, उन्हें भी सुनाये.
आप यह भी बतलाये की योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण जब अपने धाम को चले गए तब निराश्रय धर्म किसकी शरण में गया ?
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